Friday, June 10, 2022

है प्यार हमारा अठन्नी सा पचीस पैसा मैं और पचीस पैसा वो...!






है प्यार हमारा अठन्नी सा पचीस पैसा मैं और पचीस पैसा वो.

जो वो थकता तो मैं सम्भालती,

ये स्वार्थी जिन्दगी किसी को न भाती,

जो मैं कच्ची सड़क पर रुक जाऊ, तो कंधे पर लेकर वो चले,

ऐ बेदर्द जमीन तु क्यूँ न मेरे संग चले?

यूँ तो प्यार है हमारा गुलाल सा रंगी रंगी मैं और धुआं धुआं वो  

पर ज़खिमी दिल ये उदास सा थकी थाकि में और बुझा बुझा वो

चलो छोड़ो अब ये साथ तुम कह दो आज़ाद रहो,

मन को हम भी बाँध लेंगे इस आजादी को स्वीकार लेंगे, पर कितने रहोगे आज़ाद तुम?

हिसाब हमारा पक्का है ये मत भूलो की वो पचीस पैसा मेरे हक है

इतने में मुस्कुरा दिया लगता है, फिर मुई जिन्दगी ने सबक सिखा दिया

हर बार यही बतलाती हूँ, बात वही बताती हूँ,

है प्यार हमारा अठन्नी सा पचीस पैसा मैं और पचीस पैसा वो.

 

Thursday, March 3, 2022

जो कह दूं सच तो ....




जो कह दूं सच तो कयामत होगी

के अब जिंदगी झूट में ही गुजारने दो 

Wednesday, March 2, 2022

Kirdaar chamkta hai .....




Nhi dekhna mujhe koi aina, 

Ke Teri ankhon me ab mera kirdaar chamkta hai .

Tuesday, March 1, 2022

Dastoor mohhobat ka ...

 



Dastoor mohhobat ka duniya jaane. 

Hm to diwane hain diwangi pr marte hain.



Wednesday, February 10, 2021

चलो तुम्हे तुमसे मिलाते हैं...!!!

 



चलो तुम्हे तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है,

 मुझे  पता है थक गए होगे 

इस शोर में तुम भी कहीं फस गए होगे

सुबह भी रोज़ तुम चिं पों से जागते होगे तो कभी 

रात के सन्नाटे में खुद को अकेला पाते होगे

चलो फिर तुम्हे तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है 


मुझे याद है जब बॉस तुम्हे बेवजह ही टोंट कस रहे थे 

तुम भी चुप चाप कहीं भीतर मन में उसे डस  रहे थे 

पलटी जो पीठ उसने, तुम भी अकड़ गये, आखिर में तुम फिर से जिम्मेदारियों के बोझ तले पिघल गए 

खैर हटाओ ये सब, ये तो रोज़ की बातें है 

चलो तुम्हे तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है 


रात में जब शहर चुप होता है 

बातों का असली सिलसिला खुद से तभी रूबरू होता है 

कानो में मचता शोर दिल के दरवाज़े को ज़ोर से ज़रूर खटखटा होगा 

कभी कच्ची नींद से जगाता , तो कभी रूखे सपनो से राब्ता करता होगा 

सुनो ना , इन सब बातों को काली गुफा छोड़ आते है 

चलो तुम्हे तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है 


माँ बाप के सपनो की उड़ान बनना है 

आखिर तुम्हे भी तो अपनी जनरेशन का नाम करना है 

भीतर ही भीतर इन वादों को तुम रोज़ जागते हो, तब्भी तो तुम झूठे कहलाते हो 

छोड़ो ये वादे , कुछ करने के इरादे ,मेरे पास बैठो 

आज थोड़ी देर  के लिए सब भूल जाते है  

सच कहती हूँ 

चलो तुम्हे आज तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है...!!! 




Monday, March 26, 2018

आज दर्द लिखना चाहती हूँ...



आज दर्द लिखना चाहती हूँ
खूब लिखना चाहती हूँ
जो रूठे हैं उन्हें नहीं मनाना
पर जो माने है उन्हें सताना नहीं चाहती हूँ

आज दर्द लिखना चाहती हूँ
खूब लिखना चाहती हूँ
बीत गए जो पल उनका उजाला न बटोर सकी
जो आज है मेरा उसे जीना चाहती हूँ

आज दर्द लिखना चाहती हूँ
खूब लिखना चाहती हूँ
मेरे अपनों ने मुझे ठुकराया तब इस ज़माने ने मुझे अपनाया
आज हर किसी को शुक्रिया कहना चाहती हूँ

आज अपना दर्द लिखना चाहती हूँ
खूब लिखना चाहती हूँ
शिकायत नहीं की तुम न समझ सके
तुम बीच सफर में हाथ छोड़ चले , क्यों? बस इतना पूछना चाहती हूँ

आज दर्द लिखना चाहती हूँ
खूब लिखना चाहती हूँ
मेरे घर पर है कोई इंतज़ार कर रहा
उसकी बाहों  में उसका बेटा वापस देना चाहती हूँ
आज दर्द लिखना चाहती हूँ
खूब लिखना चाहती हूँ








Wednesday, October 11, 2017

इस दिवाली क्या खुस- फुस है बाज़ारों में.... आइये जानते है ..

खुस- फुस है बाज़ारों में हम आगे....  हम आगे... ।
लेकिन कहीं दूर सड़क के नुक्कड़ पर, सुबह से बैठी है वो। .
इस बार फिर उसके बूढ़े हाथों ने , दियों की पोटली सजाई है।
बाज़ारों से जब गुज़रोगे तुम , न वो रोकेगी न वो टोकेगी। .
बस उसकी आंखे तुझसे पूछेगी
चीनी लाइट खरीद क्यों जलाते हो हर साल पैसा अपना , जब मैंने तेरे लिए रौशनी वाले दिए बनाये है
तो इस बार बेवजह कुछ दीये खुद खरीद लेना कुछ दूसरों से ख़रीदवाना...  
वो बैठें है इस आस में की कुछ दिए उनके भी बिकेंगे ...
तो इस दिवाली हम भी कुछ ख़ास करेंगे... 
तो इस साल चीनी लइटों का मोह छोड़ो और मिट्टी के दीयों से घर सजोलों
क्योकि ये दिवाली दीपाक वाली 😊