Friday, May 12, 2017

कोई तो हो जो मेरी..

गिले ही गिले हैं चारों तरफ कोई तो हो जो मेरी..
कभी सुबह जो तुमसे बात न हो तो कोई तो जो मेरी...
ये भी सही की सारा दिन अपनी गलती ढूंढने में निकल दूँ में मगर कोई तो हो जो मेरी...
रात जो होती जब बात मेरी होती फिर कोई नई गलती वो ढूंढ जो लेते,उस वक़्त कोई तो हो जो मेरी...
जिंदगी के दस्तूर कई मगर जब बात हो तेरी तब कोई तो हो जो मेरी...  
कह दूँ अगर ना है डर तो तब भी है जब हाँ है, तब कोई तो हो जो मेरी...
वो चला गया ये कह कर की भरोसा नहीं उसे कैसे बताऊं की ये समझ का धोका है
जब सब खत्म हो गया तब पुछा उसने क्या है चाह तेरी
मैंने भी रोक के उससे कहा जो तू होता तो क्या होता अब जो तो नहीं तो कोई तो हो जो मेरी... 

Tuesday, May 9, 2017

जिंदगी तुझे क्या गम है ?

दुनिया जो रूठी है हमसे
अगर तुम भी थोड़ा रूठ गए तो क्या गम है।
तिर तिर के घुट रहे है हम,
अगर कुछ बातें तुम्हारी भी हमे घोट जाएं  , तो  क्या गम है।
जो लोग पहले साथ रहकर  बेवजह ही तारीफों के बोल बोलते थे,
अगर वो आज बेवजह ही धोका दें जायें , तो क्या गम है।
न गुजरते थे जिनके दिन रात हमसे बिना मिले,
आज वो दोस्त अगर मतलबी हो जायें, तो क्या गम है।
खर रही है आज ये वक़्त और यह घड़ी  तो क्या हुआ,
फिर कभी जरूर कहीं मिल जाएँगे सब हमे पहले की तरह यूँ ही बेवजह।
दोस्तों, यार्रों और परिवार को सलाह है मेरी न मरोडो इस वक़्त को इतना
जो कभी फिर न जुड़ पाए वैसे टूट भी जाए तो तुम्हे क्या गम है।