गिले ही गिले हैं चारों तरफ कोई तो हो जो मेरी..
कभी सुबह जो तुमसे बात न हो तो कोई तो जो मेरी...
ये भी सही की सारा दिन अपनी गलती ढूंढने में निकल दूँ में मगर कोई तो हो जो मेरी...
रात जो होती जब बात मेरी होती फिर कोई नई गलती वो ढूंढ जो लेते,उस वक़्त कोई तो हो जो मेरी...
जिंदगी के दस्तूर कई मगर जब बात हो तेरी तब कोई तो हो जो मेरी...
कह दूँ अगर ना है डर तो तब भी है जब हाँ है, तब कोई तो हो जो मेरी...
वो चला गया ये कह कर की भरोसा नहीं उसे कैसे बताऊं की ये समझ का धोका है
जब सब खत्म हो गया तब पुछा उसने क्या है चाह तेरी
मैंने भी रोक के उससे कहा जो तू होता तो क्या होता अब जो तो नहीं तो कोई तो हो जो मेरी...
कभी सुबह जो तुमसे बात न हो तो कोई तो जो मेरी...
ये भी सही की सारा दिन अपनी गलती ढूंढने में निकल दूँ में मगर कोई तो हो जो मेरी...
रात जो होती जब बात मेरी होती फिर कोई नई गलती वो ढूंढ जो लेते,उस वक़्त कोई तो हो जो मेरी...
जिंदगी के दस्तूर कई मगर जब बात हो तेरी तब कोई तो हो जो मेरी...
कह दूँ अगर ना है डर तो तब भी है जब हाँ है, तब कोई तो हो जो मेरी...
वो चला गया ये कह कर की भरोसा नहीं उसे कैसे बताऊं की ये समझ का धोका है
जब सब खत्म हो गया तब पुछा उसने क्या है चाह तेरी
मैंने भी रोक के उससे कहा जो तू होता तो क्या होता अब जो तो नहीं तो कोई तो हो जो मेरी...