Wednesday, February 10, 2021

चलो तुम्हे तुमसे मिलाते हैं...!!!

 



चलो तुम्हे तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है,

 मुझे  पता है थक गए होगे 

इस शोर में तुम भी कहीं फस गए होगे

सुबह भी रोज़ तुम चिं पों से जागते होगे तो कभी 

रात के सन्नाटे में खुद को अकेला पाते होगे

चलो फिर तुम्हे तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है 


मुझे याद है जब बॉस तुम्हे बेवजह ही टोंट कस रहे थे 

तुम भी चुप चाप कहीं भीतर मन में उसे डस  रहे थे 

पलटी जो पीठ उसने, तुम भी अकड़ गये, आखिर में तुम फिर से जिम्मेदारियों के बोझ तले पिघल गए 

खैर हटाओ ये सब, ये तो रोज़ की बातें है 

चलो तुम्हे तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है 


रात में जब शहर चुप होता है 

बातों का असली सिलसिला खुद से तभी रूबरू होता है 

कानो में मचता शोर दिल के दरवाज़े को ज़ोर से ज़रूर खटखटा होगा 

कभी कच्ची नींद से जगाता , तो कभी रूखे सपनो से राब्ता करता होगा 

सुनो ना , इन सब बातों को काली गुफा छोड़ आते है 

चलो तुम्हे तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है 


माँ बाप के सपनो की उड़ान बनना है 

आखिर तुम्हे भी तो अपनी जनरेशन का नाम करना है 

भीतर ही भीतर इन वादों को तुम रोज़ जागते हो, तब्भी तो तुम झूठे कहलाते हो 

छोड़ो ये वादे , कुछ करने के इरादे ,मेरे पास बैठो 

आज थोड़ी देर  के लिए सब भूल जाते है  

सच कहती हूँ 

चलो तुम्हे आज तुमसे मिलाते  हैं 

कहीं दूर लेकर जाते है...!!!