Wednesday, October 11, 2017

इस दिवाली क्या खुस- फुस है बाज़ारों में.... आइये जानते है ..

खुस- फुस है बाज़ारों में हम आगे....  हम आगे... ।
लेकिन कहीं दूर सड़क के नुक्कड़ पर, सुबह से बैठी है वो। .
इस बार फिर उसके बूढ़े हाथों ने , दियों की पोटली सजाई है।
बाज़ारों से जब गुज़रोगे तुम , न वो रोकेगी न वो टोकेगी। .
बस उसकी आंखे तुझसे पूछेगी
चीनी लाइट खरीद क्यों जलाते हो हर साल पैसा अपना , जब मैंने तेरे लिए रौशनी वाले दिए बनाये है
तो इस बार बेवजह कुछ दीये खुद खरीद लेना कुछ दूसरों से ख़रीदवाना...  
वो बैठें है इस आस में की कुछ दिए उनके भी बिकेंगे ...
तो इस दिवाली हम भी कुछ ख़ास करेंगे... 
तो इस साल चीनी लइटों का मोह छोड़ो और मिट्टी के दीयों से घर सजोलों
क्योकि ये दिवाली दीपाक वाली 😊