है प्यार हमारा अठन्नी सा पचीस पैसा मैं और पचीस पैसा वो.
जो वो थकता तो मैं सम्भालती,
ये स्वार्थी जिन्दगी किसी को न भाती,
जो मैं कच्ची सड़क पर रुक जाऊ, तो कंधे पर लेकर वो चले,
ऐ बेदर्द जमीन तु क्यूँ न मेरे संग चले?
यूँ तो प्यार है हमारा गुलाल सा रंगी रंगी मैं और धुआं धुआं वो
पर ज़खिमी दिल ये उदास सा थकी थाकि में और बुझा बुझा वो
चलो छोड़ो अब ये साथ तुम कह दो आज़ाद रहो,
मन को हम भी बाँध लेंगे इस आजादी को स्वीकार लेंगे, पर कितने रहोगे आज़ाद तुम?
हिसाब हमारा पक्का है ये मत भूलो की वो पचीस पैसा मेरे हक है
इतने में मुस्कुरा दिया लगता है, फिर मुई जिन्दगी ने सबक सिखा दिया
हर बार यही बतलाती हूँ, बात वही बताती हूँ,
है प्यार हमारा अठन्नी सा पचीस पैसा मैं और पचीस पैसा वो.
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