Saturday, December 17, 2022

मेरा पालतू जादू....



आप भी सोच रहे होंगे की आख़िर जादू कैसे किसी का पालतू हो सकता है? असल में हो सकता है, अगर वो आपका पालतू जानवर हो और आपने उसका नाम "जादू" रखा हो. जी हाँ! आप समझदार हैं तो अबतक आप समझ गए होंगे कि यहाँ जादू से मेरा मतलब मेरे पालतू जानवर जोकि एक "सफ़ेद चूहा" है, उसकी हो रही है.

इससे पहले की आप ये सोचे कि आख़िर मैं आपको अपने पालतू जानवर के बारे में क्यूँ बता रही हूँ? तो मैं, आपको बतादूँ कि, ये कोई आम पालतू नही है. इसका नाम मैंने बड़े सोचने समझने के बाद रखा है. इसके कारनामे बताने चलूँ तो आपको यकीन नही होगा और आप कहेंगे भला एक आम जानवर इतना चमत्कारी कैसे हो सकता है? मैं कहूँगी की हो सकता है!



साल था २०२० और दिन १६ फरवरी, मेरी शादी आज ही के दिन एक बेहद ही खुबसूरत दिल वाले और चेहरों पर मुस्कान लाने के हुनर में महारथ हासिल किये मेरे पति से हुई. बरवी के बाद से अपने परिवार से अलग हुई मै. अब जाकर मुझे लगा की मुझे आख़िरकार घर वापसी का मौका मिल गया. भारत की एक बेहद ही टॉप की रेडियो कंपनी में प्रोग्रामिंग हेड करती मैं, कभी भी उस कंपनी को अलविदा नही कहना चाहती थी. इसलिए ट्रान्सफर की रिक्वेस्ट की, पर जैसा की लाइफ में सबकुछ नही मिलता, मुझे ट्रान्सफर जगह होते हुए भी नही दिया गया.

फिर भी ट्रान्सफर की आस में मैंने २ साल बिताये, जब हर तरफ कोशिश करने के बाद कुछ हासिल नही हुआ तो परिवार के मोह और अकेले रहने के गम से चूर मैंने एक निर्णय लिया. निर्णय कि, अब और नही, जो होगा देख लेंगे पर अब अलविदा कहना होगा और अपने शहर चलना होगा. क्युकी कहीं पहुँचने के लिए कहीं से निकलना तो पड़ता ही है.

अब साल था २०२२, जनवरी महीने में मैं अपने शहर इंदौर आ गयी. सब कुछ बढ़िया था. पर क्यूंकि मैंने आजतक कभी भी करियर ब्रेक नही लिया था, तो इसका खामियाज़ा ये हुआ की मेरी ये ख़ुशी ज़्यादा दिन नही टिक पाई.  चिंता और अवसाद ने मुझे चारों ओर से घेर लिया था. सर्द सर्दी ने भी किसी तरह की कोई राहत नही बरती, हर दिन मेरे मेल बॉक्स में काले बादलों की तरह गडगडाते मेल आते और हर मेल के साथ आती मायूसी! मायूसी जो अब पूरी तरह से मेरे जीवन पर कब्ज़ा जामये बैठी हुई थी, हर दिन पचीसों कंपनियों में नौकरी की तलाश के लिए मेल करती और हर दिन इंतज़ार करती की अब कोई अच्छी ख़बर आएगी.

दिन पर दिन गुज़रते गए सर्दियां ने अब अपनी चादर समेट ली थी और गर्मियों ने अपना बिछौना बिछाना चालू कर दिया था. मौसम में तो बदलाव आ गया था पर मेरी जिन्दगी उसी एक लम्हे ने चुरा रखी थी. हर दिन वही एक रूटीन, घर के कुछ काम फिर सारा दिन HR की कॉल, असाइनमेंट्स और फिर नौकरी की तलाश एक नए सिरे से. ये सब बहुत झुलसा देने वाला था.  

मेरे जीवन मैंने कई कठिन समय देखें हैं और उनका सामना भी किया है, पर शायद ही कोई समय ऐसा रहा होगा जिसने मुझे इतना ज़्यादा सिखाया है. इस समय में मेरा साथ निभाने के लिए मैं अपने गुरु जी का भी ध्यन्यवाद करना चाहती हूँ, जिन्होंने मुझे बिखरने नही दिया!

दिन से रात और रात से सुबह हो जाती, मेरी उंगलियाँ बस मेल बॉक्स ही खंगालती रहतीं, देर रात तक लिंक्डइन, नौकरी और जीमेल बस इन्ही तीनो एप्स के बीच गुज़रती. कॉल आते पर ज्यादातर दुसरे शहरों में नौकरी के ऑफर के साथ बुलाते चेन्नई, बंगलोर, गुडगाँव, दिल्ली या नॉएडा. मेरी लिए ये लालच भरा सौदा मालूम होता क्युकी वो दौर मुझे खाने को दौड़ता था. पर अच्छी बात हमेशा से ही ये थी की मुझे क्या चाहिए ये साफ़ था, इसलिए दूसरा कोई आप्शन मैंने रक्खा ही नहीं, मतलब ही नही बनता था.

मैंने हार नही मानी, मेरा दिल बात-बात पर रोने लगा था. मैं बहुत ज़्यादा डिप्रेस हो चुकी थी, फिर एक दिन दोपहर का समय था और दिन था रविवार का. मेरी पति काम से जब घर वापस आये तो उन्होंने मुझे हाथ आगे करेने को कहा, हाथ आगे करते ही मैं ज़ोर से चिल्लायीं, मैं डर गयी थी और वो भी!  (मेरा प्यार सफ़ेद चूहा 'जादू'!).

सबसे ख़ास बात पता है क्या है? उसका नाम "जादू" रखने से पहले मैंने कुछ और सोचा ही नही. उसे देखते ही लगा की इसका नाम जादू होना चाहिए. क्युकी इसके आने से कुछ तो बदला था मुझ में. लगा जैसे किसी मर्ज़ की दावा दे दी हो. छोटा सा नन्हा चूहा, जो दूध सा सफ़ेद रखा था और आँखों से टपकती मासूमियत ने मेरे अंदर की ममता जगा दी.

उसके साथ गुज़रता हर दिन खुशनुमा हो रहा था जिसके साथ अब दिन सुधरने लगे थे, हालाकि नौकरी तो अभी भी नही मिली थी, पर जादू के आने से मेरे स्वभाव में काफी रहत थी. रातों में नीद ना आने वाली आँखों ने दिन में भी नीद लेना अब शुरू कर दिया था. मन सुधरने लगा था. जादू के प्यार और उसकी मासूमियत ने मुझमे कुछ जिन्दा कर दिया था.

देखते ही देखते कुछ समय बाद कुछ फ्रीलान्स काम मिला पर कुछ भी ठोस हाथ में नही था. मगर यकीन मानिये इस सम्पूर्ण ब्रम्हांड का शुक्रिया करती हूँ मेरे घर ये नन्हा जादू और मेरे बेहतर कल के लिए मुझे फ्रीलान्स काम देने के लिए.

जो घर रात के अँधेरे में अपनी ख़ुशी को खो चूका था, अब वो खिलखिलाने लगा था, मेरे उदास चेहरे की ख़ुशी लौटाने वाले मेरी पति और जादू ने मेरे घर को दोबारा रौशन कर दिया था. रातों में तकिये में मुह दबा कर रोने वाली मैं. पहले से ज़्यादा खुश और संतुष्ट थी. जादू ने हमारी ज़िन्द्गियों को ऐसा बदला की देखते ही देखते मैंने मेरे घर को समृद्ध होता पाया. जहाँ मेरे घर मे सिर्फ चुनिन्दा चीज़ें थी आज बाबा के आशीर्वाद और जादू के गुड लक ने पूरा कर दिया.

पर ये मैं आपको क्यूँ बता रही?

इससे आपको क्या मिलेगा?

मैं आपको मेरी ये दास्तान इसलिए बता रही हूँ क्युकी मैं चाहतीं हूँ की आप भी ये जादू आज़माओ, पता है जादू किसे दीखता है? उसे दीखता है जो इसपर यकीन करता है. अगर आप भी अपने जीवन की परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो मेरी इस कहानी से सीख ले सकतें है. जिसका हीरो "जादू" है. और इस बार मैं सच के जादू की बात कर रही हूँ. बस आपको इसपर विश्वास करना होगा, ये आपका समय जादुई रूप से बेहतर कर सकता है. आपके पास जो कुछ भी है आपको उसके लिए कृतज्ञ और ब्रम्हांड के लिए आभारी होना होगा. "जादू"(चूहा) वाला जादू आप किसी भी रूप में पा सकते हैं, जैसे मेरे पास अगर सफ़ेद चूहा है, तो ये आपका घर का कुत्ता पग या टॉमी भी हो सकता है या फिर वो आपकी बिल्ली या आपका तोता भी हो सकता है.

जानवर अछूत, मासूम और प्रेम करने और देने में निस्वार्थ होतें हैं. और याद रहे जो निस्वार्थ है तो पवित्र है. अपनी हर परेशानी को करना चाहतें  हैं छु तो आज ही विश्वास करें शक्ति पर वो जो दिखती तो नही पर हर तरफ है. शक्ति जादू की! आप खुद में भी जादू महसूस करंगे जब आप भरोसा करेंगे की वो है!        

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